पचमढ़ी में स्थित ब्रिटिश समय के भवन
प्रस्तावना :-
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में सेंट्रल प्रोंविंस एण्ड बरार की स्थापना 22 जिले एवं 5 संभागों में की गई थी, जिसमें नर्मदा डिविजन जिसमें नरसिंहपुर, होंषगाबाद, निमाड, बैतूल एवं छिंदवाड़ा जिले शामिल किये गए थे जिसका फैलाव 47,610 वर्ग किलोमीटर था जिसमें सतपुड़ा पठार की सर्वोच्च चोटी धूपगढ जिसकी समुद्र तल से उचाई लगभग 4000 फुट है, यहां पर औसत वर्षा लगभग 125 इंच होने के कारण सदाबहार वनों से आच्छादित है एवं यहां वर्ष भर तापमान औसत एवं स्वास्थ वर्धक होने के कारण अंग्रेजो द्वारा यहा पर आवासीय भवनों एवं नगर का निर्माण किया गया।
इसके पूर्व यहां आदिवासी जनजाति जिनमें मवासी, कोरकु, भारिया, राजगौंड एवं प्रधान शामिल थे, इनकी जीविका का साधन वनोपज एवं पेंडा खेती (लकड़ियों को काटकर जलाना एवं उसके अवशेष पर खेती करना) था जिसमे ये कोदों, कुटकी एवं मकई के प्रमुख थे, इनके द्वारा पशुपालन भी किया जाता था। ब्रिटिशो द्वारा पचमढ़ी में अनेक भवनों का निर्माण किया गया है, जिसमें कुछ एतिहासिक इमारतें शामिल है जिसका विवरण निम्नानुसार हैः-
1. पचमढ़ी चर्च

पचमढी में 1882 में बना क्राइस्ट चर्च ब्रिटिश ओपनिवेषिक काल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है यह पचमढ़ी के हिल स्टेषन में परिवर्तन की शुरूआत थी जिसमें अंग्रेजो ने अपनी यूरोपी शैली के साथ बंगले इमारते और चर्चो का निर्माण करवाया चर्च को कलकत्ता के वास्तुविदों ने डिजाइन किया था जिन्हांने कई महत्वपूर्ण संरचनाओ का भी निर्माण किया जिसकी शैली गाथिक थी, लाल बलुआ पत्थर का इसमें प्रयोग किया गया है कैप्टन जेम्स फारसिथ ने शिकार के लिए पचमढी की यात्रा की थी तथा उनकी यात्रा पर उन्होने एक किताब भी लिखी जिसका नाम The Highlands of Central India था जो कि, वर्तमान में भी अधिक प्रचलित है।
पचमढ़ी को अंग्रेजो के लिए गर्मियों के विश्राम स्थल के रूप में पहचाना गया। कालांतर में उनके द्वारा वर्ष 1904 में उद्यान विकसित किया गया जिसका नाम कंपनी गार्डन के रूप में जाना जाता है, जो 14 एकड़ में फेला हुआ है तथा इसके अंदर सिंचाई व्यवस्था के लिए कुल सात कुओं का निर्माण मोट सिस्टम (बैलों के द्वारा कुओं से पानी निकालने की प्रक्रिया) के आधार पर करवाया गया। अंग्रेजो ने अपने मनोरंजन के लिए पोलो मैदान, पचमढी क्लब तथा गोल्फ कोर्स का निर्माण कराया जो वर्तमान में एषिया का दुसरा सबसे बड़ा मैदान के रूप में जाना जाता है। ब्रिटिश गर्वनर सर हेनरी जेम्स टॉयनम की पचमढी में विषेष लगाव था उनके ही कार्यकाल में चूना पत्थरों से बना टॉयनम मेमोरियल वर्ष 1942 में वनबाया गया जो द्वितिय विष्व युध्द में काबुल नदी में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान के रूप में विख्यात है तथा शासकीय अस्पताल में लेडी टॉयनम वार्ड जो आज भी यथा स्थिति में है उनके द्वारा एक स्विमिंग पूल का निर्माण भी कराया गया जो वर्तमान में टॉयनम पूल के नाम से जाना जाता है। सेना षिक्षा कोर एवं अंग्रेज छावनी की स्थापना भी की गई जिसमें सेनीटोरियम, मिलिट्री अस्पताल, लाइब्रेरी आदि शामिल है।
2. पुलिस स्टेशन

यह एतेहासिक बिल्डिंग सेंट्रल प्रोबिंस एवं बरार स्टेट के अधीन थी जो 0.93 एकड़ में बनी हुई है इसका निर्माण 1876 में किया गया था, जिसमें वाटर सप्लाई एवं विद्युतीकरण कार्य वर्ष 1991-1992 में किया गया, तत्समय इसकी लगत 5,909/- आयी थी तथा इसके निर्माण में चूना कांक्रिट का गारा, चूना मिटटी के पत्थर एवं इसमें बर्न एण्ड को कम्पनी के टाईल्स उपयोग किये गये थे।
3. तहसील कार्यालय पचमढ़ी

यह एतेहासिक बिल्डिंग सेंट्रल प्रोबिंस एवं बरार स्टेट के अधीन थी, जो 0.92 एकड़ में बनी हुई है इसका निर्माण सन् 1882 मे किया गया था, इस एतेहासिक भवन की लागत 31,998/- थी तथा उक्त भवन में वर्ष 1935 से 1951 तक निर्माण कार्य हुए, इसकी नींव लाईम कोर्न स्टोन पर रखी गई है एवं दिवारों का निर्माण गारे के रूप में चूने का प्रयोग किया गया तथा फर्श कांक्रीट से बनाया गया एवं फर्ष पर फ्लेग स्टोन लगा हुआ है।
सन् 1882 में इस भवन का नाम Assistant Commissioner’s court के नाम जाना जाता था। उक्त भवन में विद्युतीकरण का कार्य वर्ष 1951-52 में हुआ जिसमें रू0 6,808/- व्यय आया। उक्त भवन को ब्रिटिश समय कोर्ट के रूप में उपयोग किया जाता था। इसके अंतर्गत दो कोर्ट रूम एक बंदी गृह एवं शासकीय खजाना कोषागार कक्ष तथा प्रथम तल पर मौसम की जानकारी हेतु उपकरण लगाये जाते थे, इस भवन में पृथक-पृथक पुरूष एवं महिला शौचालय बनाये गये थे जिनका पैटेन्ट Hosbury’s के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में इस भवन में विषेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, व्यवहार न्यायालय प्रथम श्रेणी, महादेव मेला समिति एवं तहसीलदार कोर्ट के कार्यालय है।
4. विद्या मंदिर

यह एतेहासिक बिल्डिंग सेंट्रल प्रोबिंस एवं बरार स्टेट के अधीन थी, जो 7.34 एकड़ में विकसित की गई थी जिसमें आस-पास की रिक्त भूमि भी सम्मलित है, इसका निर्माण सन् 1882 मे किया गया था जिसकी लागत 12,273 रू थी तथा वर्ष 1951-52 में विद्युत, वाटर सप्लाई एवं सेनेटरी फिटिंग का कार्य किया गया जिस पर 26,010 रूपए व्यय किया गया था तथा कुक हाउस का निर्माण वर्ष 1882-83 एवं 1934-35 में किया गया जिसकी रिकार्डेड वैल्यू 2,779 रू थी।
इसमें एक Fowl House का निर्माण वर्ष 1933-34 में किया गया। जिसकी रिकार्डेड वैल्यू 438 रू थी। इसका फर्श टेराइड पेटेंट स्टोन से बना है इसके छत में सिंगल एवं डबल इलाहबाद टाइल्स का प्रयोग किया गया था तथा वाबर्ची खाना तथा Fowl House में चूना लगी ईटों का प्रयोग एवं इनके फ्लोर पर मुरम और कांक्रीट का उपयोग किया गया था तथा इनकी छतों पर इलाहबाद एवं मंगलौर टाईल्स का उपयोग किया गया है।
5. आवासीय प्रोबिंसियल एवं सचिवालय राजभवन

यह एतेहासिक बिल्डिंग सेंट्रल प्रोबिंस एवं बरार स्टेट के अधीन थी, जो 22.84 एकड़ में विकसित की गई थी जिसमें आस-पास की रिक्त भूमि भी सम्मलित है, इसका निर्माण सन 1887 मे किया गया था |

जिसकी लागत 1,55,828 रू थी तथा वर्ष 1889 में बावर्ची खाना बरामदे के साथ बनाया गया इस भवन में रिनोवेशन कार्य वर्ष 1933-34 एवं 1957-58 में किये गए तथा इसका उपयोग ग्रीष्म काल में गर्वनर हाउस के रूप मे किया जाता था इसकी दीवारे pucca & posts एवं चूना पत्थर से बनाई गई। इसमें मार्बल एवं ब्लु एण्ड रेड इंडियन टाईल्स का उपयोग किया गया है तथा बावर्ची खाने में burn & cos glazed tiles का उपयोग किया गया।
6. बायसन लॉज पचमढ़ी

यह एतेहासिक बिल्डिंग सेंट्रल प्रोबिंस एवं बरार स्टेट के अधीन थी, जो 2.43 एकड़ में विकसित की गई थी जिसमें मुख्य बिल्डिंग के साथ ही सर्वेन्ट क्वाटर शौचालय, कुक हाउस, मोटर शेड एवं कुआं भी सम्मलित है इसका निर्माण सन 1938-39 मे किया गया था, एवं रिनोवेषन का कार्य वर्ष 1947-56 तक निरंतर जारी रहा जिसकी प्रारंभिक लागत 8,709 रू थी तथा इसके फ्लोर के लिए ईट, चूना एवं चिकनी मिट्टी का उपयोग किया गया एवं इसकी छत पर सिंगल एवं डबल इलाहाबाद टाईल्स के साथ आर.सी.सी स्लैब का भी उपयोग किया गया ।
7. ओल्ड होटल ब्लाक न.1

यह एतेहासिक बिल्डिंग सेंट्रल प्रोविंस एवं बरार स्टेट के अधीन थी, जो 6.27 एकड़ में विकसित की गई थी। इसका निर्माण सन् 1893 मे किया गया था, एवं रिनोवेशन का कार्य वर्ष 1926-58 तक निरंतर जारी रहा जिसकी प्रारंभिक लागत 51,772 रू थी तथा इसका फाउन्डेशन लाईन कांक्रीट तथा दिवारें चूना मिश्रित ईंटे से बनाई गई तथा फर्श फ्लैग्ड स्टोन Terraced का निर्माण किया गया तथा इसकी छत पर डबल इलाहबाद टाईल्स तथा बर्न एण्ड को तथा बागरा टाईल्स का प्रयोग किया गया था।
8. क्रिश्चियन सिमेट्री

अप्सरा विहार मार्ग के दायीं तरफ सिमेट्री का निर्माण ब्रिटिश काल में करवाया गया था जिसमें उल्लेखनीय है कि, द्वितीय विश्व युध्द में मृत सैनिकों को यहाँ पर लाकर दफनाया गया जिसका विवरण भी उनकी कब्र के समक्ष लिखा गया है, यहाँ पर एक पार्सियन कब्रिस्तान का कुआँ भी बना हुआ है जिससे यह प्रतीत होता है कि यहाँ पर पारसियों का निवास भी रहा है।
9. रॉक पेंटिग

पचमढ़ी पठार में कई प्राकृतिक एवं प्रोगेतिहासिक गुफाएं विद्यमान है जिनके अंदर प्राकृतिक रंगो से विभिन्न आकृतियां भित्ती चित्र प्राचीन वनवासियों द्वारा बनाये गये है, जिसमें जानवर, शिकार खेलते वनवासी, सामाजिक कार्यों में संलग्न कलाकृतियां है, जिनका रंग लाल, पीला एवं भूरा है इसमें किस रसायन का प्रयोग किया गया है इसकी सही जानकारी एवं बनाने की विधि आज पर्यंत उपलब्ध नहीं है, कई स्थानों पर बलुआ चूने के पत्थर पर कलाकृतियां उकेरी गई है, जिसमें चंद्रमा, सूर्य, भगवान गणेष मुख्यतः है जिसका कालखंड या कार्बन डेटिंग अभी तक उपलब्ध नहीं है। इससे प्रतीत होता है कि प्राचीन आदिवासियों को धार्मिक सभ्यता का ज्ञान पूर्व से ही था।